Sad Story | emotional story in Hindi कहानी

 हो सकता है आज की कहानी पढ़कर आपकी आंखों में पानी आ जाए मगर मैं दावे के साथ कहता हूं कि इस कहानी से आपको एक बहुत स्ट्रांग मैसेज मिलेगा जो आपको और आपकी फैमिली को कोई भी ऐसा गलत काम जो इस कहानी के पात्रों ने अपने पिता के साथ किया है, करने से रोकेगा.


Sad story in Hindi- image



आपको पता चल ही गया होगा की यह कहानी है एक बूढ़े मजबूर पिता कि हैं. एक गांव में एक आदमी रहता था जो बहुत बूढ़ा हो चुका था. जिस वजह से उसे कम दिखाई देता था और बहुत कमजोर हो गया था. इसलिए अपनी बची कुची जिंदगी अपने बेटे के साथ बिता सके इसलिए शहर में रह रहे उसके बेटे के घर रहने चला गया.


बेटा एक शहर के छोटे मकान में रहता था. मकान तो उसका छोटा था लेकिन उसके अंदर जो चीजे थी वह मेहगी थी. उस मकान में बेटा उसकी पत्नी और उनका एक 5 साल का बच्चा यह छोटा सा परिवार साथ मिलकर रहता था. बूढ़े पिता के आने से उनके परिवार का एक सदस्य और बढ़ गया.


यह पूरा परिवार रोज सुबह, शाम डाइनिंग टेबल पर साथ में खाना खाया करता. बूढ़ा पिता अपनी कमजोरी के चलते हमेशा खाने की चीजें नीचे गिराता रहता और कई बार कांच के बर्तन भी टूट जाया करते थे. कुछ दिनों तक तो बहू और बेटे ने यह सब सहन किया लेकिन बाद में वे दोनों बूढ़े की ऐसी हरकतों से चिढ़ने लगे.


1 दिन बेटे ने कहा कि," ऐसा कब तक चलेगा हमें कुछ करना पड़ेगा." उसकी पत्नी भी इस बात से सहमत हुई.अगले दिन बेटा कहीं से एक पुराना मेज लेकर आया और घर के एक कोने में उसे लगा दिया और अपने पिताजी से कहा कि," आप यहीं पर बैठ कर खाना खा लिया कीजिएगा!" उन्होंने एक लकड़ी का बर्तन भी बनवाया जिसमें वे अपने बूढ़े बाप को खाना देने लगे. अपने कांच के कीमती बर्तन बचाने के लिए अपने पूरे बाप को  लकड़ी का बर्तन देने में उन्हें जरा भी शर्म नहीं आई!


अब खाने का समय जब जब होता तो बूढ़ा बाप एक कोने में बैठ कर खाता और बाकी का परिवार डाइनिंग टेबल पर खाना खाया करता.डाइनिंग टेबल पर बैठे-बैठे दोनों पति-पत्नी कभी-कभी अपने बूढ़े बात की तरफ देख लिया करते, बूढ़े बाप की आंखों में उन्हें आंसू भी नजर आते मगर अनपर जैसे कोई असर ही नहीं होता . बूढ़े का पोता भी यह नजारा हमेशा देखता और वह अपने में ही खोया रहता. 


एक दिन जब पति पत्नी डाइनिंग टेबल पर बैठकर खाना खा रहे थे तब उनका बच्चा जमीन पर बैठकर कुछ कर रहा था. उन दोनों ने बच्चे के हाथ में लकड़ी का टुकड़ा देखा लेकिन उन्हें कुछ समझ में नहीं आया कि बच्चा लकड़ी के टुकड़े के साथ क्या कर रहा है? 


जब बच्चे के पिता ने उसे पूछा," कि बेटा आओ खाना खा लो तुम नीचे बैठ कर क्या कर रहे हो?" तब बच्चे ने भोलेपन से कहा "अरे मम्मी पापा मैं आप दोनों के लिए लकड़ी का बर्तन बना रहा हूं ताकि आप लोगों को जब आप बुरे हो जाओ तो दिन में खाना दे सकु."


अपने नादान बेटे द्वारा दी गई यह सहज बात दोनों के दिल में तीर की तरह उतर गई. दोनों एक दूसरे का चेहरा निहारने लगे. बिना कुछ कहे ही दोनों की आंखों में पानी आ गया और उन्हें अपने भविष्य की किताब अपने आपको के सामने खुलती हुई नजर आई. उन्हें समझने में ज्यादा देर नहीं लगी कि अब उन्हें आगे क्या करना पड़ेगा.

अगले दिन कमरे के कोने से वह पुराना मैज हट गया और अब बूढ़ा पिता और बाकी का परिवार साथ में मिलकर फिर से खाना खाने लगे. बूढ़े की कमजोरी की वजह से हो रही गलतियां भी अब किसी को नहीं चिढ़ाती थी!


दोस्तों, यह कहानी हमें बताती है हर वह पत्ता जो आज हरा है वह कल सूखेगा और डाली से नीचे भी गिरेगा इसलिए हमें अपने बड़े बूढ़ों का हमेशा खयाल रखना चाहिए और हमें हमारे माता-पिता और बुजुर्गों के साथ वैसा ही व्यवहार करना चाहिए जैसा हम चाहते हैं कि हमारे बूढ़े होने के बाद हमारे बच्चे हमारे साथ करें.


दोस्तों आपको यह heart touching story कैसी लगी कमेंट करके जरूर बताइएगा अगर अच्छी लगी तो आप अपने दोस्तों और परिवार के साथ इसे शेयर कर सकते हैं और खास करके ऐसे लोगों के साथ जरूर शेयर कीजिएगा जिनका व्यवहार बड़े बूढ़ों के तरफ अच्छा ना हो.

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